This is a ghazal by Mir Taqi Mir about separation from love.
na is dayar mein samjha koi zaban meri
barang-e-saut-e-jaras tujh se dur hun tanha
khabar nahin hai tujhe ah karwan meri
usi se dur raha asl-e-mudda jo tha
gai ye umr-e-aziz ah rayagan meri
tere firaq mein jaise khayal muflis ka
gai hai fikr-e-pareshan kahan kahan meri
diya dikhai mujhe to usi ka jalwa "Mir"
pari jahan mein ja kar nazar jahan meri
My story remained speechless in my heart,
In this world no one understood my words.
I have strayed far from the bell and am alone
O leaving caravan- you do not know where I am
[in the morning a bell is supposed to get everyone going on the caravan. The poet is missing out on the journey of life, or the purpose of life because he has strayed far away alone, to a place where the bell does not reach him]
I have stayed far from was the real purpose,
This priceless life is going wasted
like thoughts of a poor soul, in your separation,
my worried mind has wandered every where
O Meer, I only see His countenance
wherever I see in this world.
रही न-गुफ़्ता मिरे दिल में दास्ताँ मेरी
न उस दयार में समझा कोई ज़बाँ मेरी
ब-रंग-ए-सौत-ए-जरस तुझ से दूर हूँ तन्हा
ख़बर नहीं है तुझे आह कारवाँ मेरी
तिरे न आज के आने में सुब्ह के मुझ पास
हज़ार जाए गई तब-ए-बद-गुमाँ मेरी
वो नक़्श-ए-पै हूँ मैं मिट गया हो जो रह में
न कुछ ख़बर है न सुध हैगी रह-रवाँ मेरी
शब उस के कूचे में जाता हूँ इस तवक़्क़ो' पर
कि एक दोस्त है वाँ ख़्वाब पासबाँ मेरी
उसी से दूर रहा असल मुद्दआ' जो था
गई ये उम्र-ए-अज़ीज़ आह राएगाँ मेरी
तिरे फ़िराक़ में जैसे ख़याल मुफ़्लिस का
गई है फ़िक्र-ए-परेशाँ कहाँ कहाँ मेरी
नहीं है ताब-ओ-तवाँ की जुदाई का अंदोह
कि ना-तवानी बहुत है मिज़ाज-दाँ मेरी
रहा मैं दर-ए-पस-ए-दीवार-ए-बाग़ मुद्दत लेक
गई गुलों के न कानों तलक फ़ुग़ाँ मेरी
हुआ हूँ गिर्या-ए-ख़ूनीं का जब से दामन-गीर
न आस्तीन हुई पाक दोस्ताँ मेरी
दिया दिखाई मुझे तो इसी का जल्वा 'मीर'
पड़ी जहान में जा कर नज़र जहाँ मेरी
Lyrics in English (full ghazal in hindi below)
Rahi nagufta mere dil mein dastan merina is dayar mein samjha koi zaban meri
barang-e-saut-e-jaras tujh se dur hun tanha
khabar nahin hai tujhe ah karwan meri
usi se dur raha asl-e-mudda jo tha
gai ye umr-e-aziz ah rayagan meri
tere firaq mein jaise khayal muflis ka
gai hai fikr-e-pareshan kahan kahan meri
diya dikhai mujhe to usi ka jalwa "Mir"
pari jahan mein ja kar nazar jahan meri
Translation in English
My story remained speechless in my heart,
In this world no one understood my words.
I have strayed far from the bell and am alone
O leaving caravan- you do not know where I am
[in the morning a bell is supposed to get everyone going on the caravan. The poet is missing out on the journey of life, or the purpose of life because he has strayed far away alone, to a place where the bell does not reach him]
I have stayed far from was the real purpose,
This priceless life is going wasted
like thoughts of a poor soul, in your separation,
my worried mind has wandered every where
O Meer, I only see His countenance
wherever I see in this world.
Rahi Nagufta Mere Dil Main Dastaa(n) Meri
Na Us Dayaar Main Samjha Koi Jabaa(n) Meri
Mir Taqi Mir
न उस दयार में समझा कोई ज़बाँ मेरी
ब-रंग-ए-सौत-ए-जरस तुझ से दूर हूँ तन्हा
ख़बर नहीं है तुझे आह कारवाँ मेरी
तिरे न आज के आने में सुब्ह के मुझ पास
हज़ार जाए गई तब-ए-बद-गुमाँ मेरी
वो नक़्श-ए-पै हूँ मैं मिट गया हो जो रह में
न कुछ ख़बर है न सुध हैगी रह-रवाँ मेरी
शब उस के कूचे में जाता हूँ इस तवक़्क़ो' पर
कि एक दोस्त है वाँ ख़्वाब पासबाँ मेरी
उसी से दूर रहा असल मुद्दआ' जो था
गई ये उम्र-ए-अज़ीज़ आह राएगाँ मेरी
तिरे फ़िराक़ में जैसे ख़याल मुफ़्लिस का
गई है फ़िक्र-ए-परेशाँ कहाँ कहाँ मेरी
नहीं है ताब-ओ-तवाँ की जुदाई का अंदोह
कि ना-तवानी बहुत है मिज़ाज-दाँ मेरी
रहा मैं दर-ए-पस-ए-दीवार-ए-बाग़ मुद्दत लेक
गई गुलों के न कानों तलक फ़ुग़ाँ मेरी
हुआ हूँ गिर्या-ए-ख़ूनीं का जब से दामन-गीर
न आस्तीन हुई पाक दोस्ताँ मेरी
दिया दिखाई मुझे तो इसी का जल्वा 'मीर'
पड़ी जहान में जा कर नज़र जहाँ मेरी
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